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ग्रन्थ परीक्षा ।
(तृतीय भाग) सोमसेन - त्रिवर्णाचार की परीक्षा ।
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छ वर्ष हुए मैंने 'जैन हितैषी' में 'ग्रन्थ परीक्षा । ' नाम की एक लेखमाला निकालनी प्रारम्भ की थी, जो कई वर्ष तक जारी रही और जिसमें ( १ ) उमास्वामि श्रावकाचार ( २ ) कुन्दकुन्द श्रावका चार ( ३ ) जिनसेन त्रिवर्णाचार, ( ४ ) भद्रबाहु संहिता और ( ५ ) धर्म परीक्षा ( श्वेताम्बर ) नामक ग्रंथों पर विस्तृत आलोचनात्मक निबन्ध लिखे गये और उनके द्वारा, गहरी खोज तथा जाँच के बाद इन ग्रंथों की असलियत को खोल कर सर्व साधारण के सामने रक्खा गया और यह सिद्ध किया गया कि ये सब
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* अकलंक प्रतिष्ठा पाठ, नेमिचन्द्र संहिता ( प्रतिष्ठा तिलक ) और पूज्यपाद - उपासकाचार नाम के प्रयों पर भी छोटे छोटे लेख लिखे गये, जिनका उद्देश्य प्रायः ग्रन्थ कर्ता और ग्रन्थ के निर्माणसमयादि-विषयक नासमझी को दूर करना था और उनके द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि ये अन्य क्रमशः सत्वार्थ राजवार्तिक के कर्ता मट्टा कलंकदेव, गोम्मटसार के प्रणेता श्रीनेमिचन्द्र सिद्धान्तवक्रवर्ती और सवार्थसिद्धि के रचयिता भी पूज्यपादाचार्य के बनाये हुए नहीं है।
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