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घंटाकर्ण कल्प
बताया गया विश्वास रख शुद्धि के साथ एकाग्रता पूर्वक आराधन करने से देव प्रसन्न होता है ।
जाप के अंत में कह देना चाहिये कि - "अपराध सहस्राणि नित्यशः क्रियते मया ॥ तत् सर्वं क्षम्यतां देव ! प्रसीद परमेश्वर ॥। १॥ आह्वानं नैव जानामि, न जानामि विसर्जनं ॥ पूजाच न जानामि, त्वं क्षमस्व परमेश्वर " ॥ २ ॥ ॥ यंत्र-मंत्र वर्णन ॥
घंटाकर्ण के आठ यंत्र बताये गये जिनमें से एक तो एकसो बत्तीस कोठे वाला यंत्र है, और दूसरा पुरुषाकार यंत्र है जिनका वर्णन पहले आ चुका है, और बाकी जो यंत्र हैं जिनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है ।
यंत्र तीसरा जिसमें एक सो चम्मालीस कोठे हैं, और मध्य में पंदरिया यंत्र लिखा हुवा है, जिनको पंदरिये यंत्र द्वारा लाभ प्राप्त करना हो उनको इस यंत्र का उपयोग करना चाहिए |
यंत्र चौथा एकसो चोपन कोठे का है इस यंत्र में दोनों तरफ मंत्राक्षर लिखे हैं, अतः दोनों तरफ के मंत्राक्षर द्वारा ध्यान करना चाहिए, प्रथम मंत्र में ऊँ के नीचे जो मंत्राक्षर नीचे वाले कोठों में लिखा है उसका एक मंत्र
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