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घंटाकर्ण-कल्प
(३) राक्षस का उपद्रव हो रहा हो तो एक हजार जाप
और गुग्गल से हवन करना सो भय दूर हो जायगा। (४) अग्नि भय में इक्कीस बार जल को मंत्रित कर
छांटने से आग उपशम होगी। (५) चोर भय मिटाने को कंकरी मंत्रित कर आठों
दिशा में फैकने से तस्कर भय नाश होगा, अथवा मंत्र बोलकर कपडे के या डोरे के इक्कीस गांठ
लगाने से भी मार्ग भय मिट जाता है । (६) सर्प का उपद्रव मकान में होता हो तो एक सो आठ
बार मंत्र बोलकर पानी मंत्रित कर मकान में छांटने
से भय दूर होता है। (७) सर्प का विष चढ गया हो तो एक सौ आठ बार
पानी मंत्रित कर पिलाने से विष उतर जायगा साथ ही नींब के पत्ते अथवा निंबोली मंत्रित कर
चबाने को देना चाहिये। (८) इस मंत्र से डोरा कर देने से ताव, एकान्तरा,
तिजारी, बेलान्तरा चला जाता है । (8) गर्भ पीडा होती हो तो एक सौ आठ बार मंत्रित
किया हुवा पानी पिलाने से पीडा मिट जाती है। इस तरह से प्रत्येक कार्य में घंटाकर्ण लाभदाई
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