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घंटाकर्ण-कल्प
वेष्टित करना और ऊपर व बीच में ( ॐ ) लिखना बाद में दमरे मंत्रातर लिखते जाना भोजपत्र या कपटे अथवा कागज पर अपगंध से लिखे बाद में दशांग हवन कर यंत्र को पास में रखे तो धन धान्य लक्ष्मी की वृद्धि होगी
और कष्ट-उपद्रव के समय में रक्षा होगी, सोने और चांदी के पतडे पर भी यह यंत्र बनाकर पास में रखने का विधान है जैसी जिसकी शक्ति व इच्छा हो वैसा करे यंत्र का नमूना आगे जो यंत्र संग्रह में बताया जायगा वहां देख लेना।
उपरोक्त यंत्र टोकर पर लिखकर ढोर के गले टोकर बांधने से आवाज सुनने वाले ढोर का रोग नष्ट हो जायगा इस तरह के रोग की उत्पत्ति हो तब इस यंत्र को लिखने के बाद दूध, दही, घृत और दाख मिश्रित कर हवन करना सो सर्व पीडा मिट जायगी।
॥ अष्टदल कमल यंत्र ॥ अष्ट दल कमल करके उसके बीच में इस तरह लिखना। "ॐ घंटाकर्ण महावीर देव दत्तस्य । सर्वोपद्रव क्षयं कुरु कुरु स्वाहा” ॥
इतना लिखकर कमल के आठ कोठों में ऊँ, ह्रीं, ऊँ, हीं, ऊँ, ह्रीं, उ, ही, इस तरह आठ अक्षर लिखना
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