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घंटाकर्ण -कल्प
करने के लिये घंटाकर्ण देव की आराधना करने को बनीमा
वों का पानी मंगवाना जिसको एक शुद्ध वस्तन में भर लेना और नौ वृक्षों के पत्ते मंगवाना [१] अनार, [२] फालमा, [३] अडसा, [४] ग्राम, [1] लाले फलों का कनेर, [६] सफेद फूलों का कनेर, [७] सेवंती, [0] नारंगी और [ ] अंजीर के पत्ते एक थाली में म्ख [१] जाई, [२] चम्पा, [३] चमेली, [४] कदंब,
और [५] अनार के पुष्प मंगवाना, और बतीस कुवों के पानी को मंत्रित कर देना जिससे पांच रास्ते मिलने हो वहां जाकर या मकान में ही स्त्री को उम पानी से स्नान करने के लिये कहना | स्नान करने के साथ ही वृक्षों के पत्तं व पुष्प पानी के साथ ही ऊपर गिरते जांय ऐसी व्यवस्था करे और शुद्ध वस्त्र पहिनने के बाद एक डोरा मंत्रित कर गले में बांध देवे तो मृतपच्छा दोष अवश्य टल जाता है, और मंतान दीर्घ आयु वाली होगी।
॥ सर्व प्रयोगार्थ विधान ॥ इस मंत्र के प्रभाव से रोग का नाश होता है, मृगी रोग जाता है, मार्ग में स्मरण करने से तस्कर हिंसक जानवर आदि का भय टल जाता है, ताव, एकांतरा, तिजारी आती हो तो कसुंक्त डोरा इक्कीस बार मंत्रित कर
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