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घंटाकर्ण कल्प
॥ दुर्बुद्धि नाशनाय || किसी मनुष्य की बुद्धि बिगड गई हो और दूसरे मनुष्यों का अनिष्ट चितवन किया करता हो तो उसकी बुद्धि ठिकाने लाने के लिये पच्चीस दिन में दस हजार जाप पूर्ण करले, और गुग्गल, घृत, शक्कर, कपूर, मिश्रित कर हवन करने से, दुर्बुद्धि ठिकाने आ जाता है, रोग मिटे, सुख दे और शत्रु का पराजय हो । विशेष में चार सो जाप नित्य प्रति पचीस दिन तक जाई के पुप्प से करे तो शीघ्र सिद्धि होगी पुत्र स्थापना पर जाप पूर्ण होते ही सीधा चढाता जाय जिसका बीट ऊपर रहे।
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॥ कुंवडावनार्थ ॥
किसी स्त्री की कख बंध हो गई हो तो घंटाकर्ण देव का आराधन करके सात वृक्षों के पत्ते मंगवाना ( १ ) चम्पा, (२) चमेली, (३) मोगरा, (४) नारंगी, (५) नींबू, (६) लाल फूलों का कनेर और (७) सफेद फूलों का कनेर इस तरह सातों वृक्ष के पत्तं शुद्ध कर लेवे और इक्कीस *वों का पानी मंगवाना और एक तांबे के घडे में भर लेना, घडे के ऊपर पांच (हीं) कार लिखना और एक (श्रीं) कार लिखना घडे के ऊपर सात बार टीप देना अर्थात् मध्यमा उंगली को अंगूठे से घड़े के ऊपर फटकारना, इतनी
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