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चंटाकण कल्प
॥ दुष्ट देव भय हर ॥ दुष्ट देव, राक्षस, भूत, प्रेत, डाकिनी, शाकिनी के उपद्रव को मिटाने के लिये घटाकर्ण का म्मरण ययालीम दिन तक करना चाहिये । प्रातःकाल ,मध्याह्न और सायंकाल में एक एक माला फेरना, ओर जाप करते समय घी का दीपक व अगर आप अवश्य रखना चाहिये, जब जाप पूरे हो जाय तब अच्छा दिन शुभ मुहृते देखकर उत्तर क्रिया करना जिसमें एक चोकोर हवन कुंड बनाकर पास में ही घंटाकर्ण देव की स्थापना करना, आह्वान पूजन
आदि करके हवन करना चाहिये हवन की सामग्री में काली मिरच, सरमुं, पुरानी साल, ( जिममें से चावल निकलते है। ) घृत, और शकर शुद्धमान लेकर एक नांव के बरतन में अथवा तांबे की थाली में लेकर मन में मंत्र बोलना और आइती देते समय "स्वाहाः" शब्द ऊंचे स्वर से कहे, हवन मंडप में पुरुषाकार यंत्र की स्थापना भी करना चाहिये जिससे कार्य सिद्धि शीघ्र होगी, और उमी दिन भोजपत्र कागज या कपडे पर अष्ट गंध से लिख कर यंत्र तैयार कर पास में रखा जाय तो फलदाई होता है, हवन का उल्लेख आगे बताया जायगा सो देख लेवें।
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