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घंटाकर्ण कल्प
हर तरह से ध्यान रख कर सत्य निष्टा से अाराधन करना सो शासन रक्षक घंटाकर्ण देव मनेच्छा पूर्ण करेगा ।
ध्यान स्मरण करने के प्रथम दिन सुखडी चढाने की प्रतिज्ञा लेना चाहिए ओर ध्यान सम्पूण हो उस दिन शक्ति अनुसार सुखडी की भेट करना सुखडी सवापांच सेर से कम नहीं चढाना, और चढाकर उसे बांट देना चाहिए, कोई मन सवा मन की भी चढ़ाते हैं जैसी जिस की भावना और शक्ति हो तदनुसार चढ़ावे ।
उत्तर क्रिया उत्तर क्रिया में विधान के साथ हवन
" करना बताया है। हवन के नाम से घबराने की आवश्यकता नहीं है यह हवन वैसा नहीं है कि जिसके करने में आपत्ति हो, हवन के लिए सामग्री में जिन जिन वस्तु का नाम आता है, उनका मिश्रण एक प्रकार से धूप का काम देता है, मंत्र शास्त्र देव को प्रसन्न करने के लिए जितनी तरह के उपाय बताये हैं उनमें हर तरह की क्रिया की प्रधानता रखी गई है, यह वस्तु प्राचीन प्रत में जैसी लिखी है उसी के अनुसार इस पुस्तक में लिखी गई है, अब करना न करना यह तो आराधक पुम्प के प्राधीन है।
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