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घंटाकर्ण कल्प
माला विचार
माला नाभि से ऊपर रहना चाहिए, हृदय के पास हाथ रख कर माला अंगूठे पर रखना और इस तरह से रखना कि अंगूठे उंगली का नख माला के न लगने पावे, माला के ऊपर जो मेरु होता है उसका उल्लंघन नहीं करना -माला पूरी होते ही उसको वापस फिरा लेना, ध्यान स्मरण लक्ष्मी प्राप्ति के लिए किया जाय तो मध्यमा उंगली से माला फेरना, मुख सौभाग्य के हेतु स्मरण करना है तो अनामिका उंगली से फेरना - बेरीमर्दन ताडनतर्जन या ऐसे ही दूसरे कार्य के लिए आराधन करना हो तो तर्जनी उंगली से माला फेरना चाहिए, जिन पुरुषों को माला फेरने से भी आव द्वारा ध्यान करने का अभ्यास हो तो वे पुरुष आवर्त, नन्दावर्त, शंखावर्त, ऊँवर्त, नवपदवर्त, पटवर्त, आदि से जाप संख्या पूरी करले, आवर्त सब उत्तम माने गये हैं परन्तु ध्यान खण्डवर्क से किया जाय तो श्रेष्ठ है, माला से ही ध्यान करना है तो माला कैसी लेनी चाहिए जिसका वर्णन आगे किया नायगा ।
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ऊपर बताया हुवा विधान प्रथम दिन
ही करने का है बाद में जितने दिन
विशेषतः
जाप चले स्थापना सामग्री का उपयोग नित्य करना चाहिए
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