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घंटाकर्ण कल्प
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नाभिकमल से ऊँचा होना चाहिए जिस पर पीले रंग का कपडा बिछाकर घंटाकर्ण देव की मूर्ति, चित्र या कोट स्थापन करना, ऊपर छत्र लगाने की व्यवस्था हो सके तो अवश्य करना, और ध्यान करने से पहले पुष्प अक्षत चढाना, नैवेद्य पुष्प भेट करना, और एकाग्रता पूर्वक चित्त स्थिर रखकर स्मरण करना । दृष्टि में चपलता नहीं आ जाय, दृष्टि देव के ऊपर ही रहने से ताटक ध्यान सिद्ध हो जाता है, जब दृष्टि थक जाय तो अांखें बंध करके ध्यान करना और जब खोलें तब देव को ही देखते रहें, इस तरह करने से ध्यान की गति बढेगी और स्थिरता आवेगी और करते करते शुद्धता आगई तो सिद्धि भी समीप आई समझना। बैठक विचार आसन पर स्थिरता से बैठो जैसा
-आसन अनुकूल हो सुखासन, पद्मासन आदि लगालो भीत-दीवार के सहारे मत बैठो. ध्यान करते समय हाथ पांव लम्बे कर आलस्य करते हुये अंग मरोडना, घुटना ऊंचा नीचा करना आदि चेष्टाएँ कभी मत करो ऐसे तरीक ध्यान को विगाडते हैं, बैठते समय इस तरह बैठो कि श्वास की नली में वायु का आना जाना सुगमता से हो सके, इस तरह करने से ध्यान अच्छा जमता है।
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