________________
॥ वीराय नित्यं नमः ।।
घण्टाकर्ण - कल्फर
140
16
.
ल
.
7
.
घंटाकर्ण-कल्प की महिमा बहुत है इसीलिए जैन धर्म के प्रतिष्ठा विधान में भी इस देव का पाराधन करना बताया गया है । वर्तमान काल में भी जो मनुष्य ध्यान कर आराधन करता है उसको चमत्कार दिखता है और
आशाएं फलती हैं, जब घंटाकर्ण देव का अाराधन करना हो तब स्थान शुद्धि आदि का पूरा ध्यान रखना चाहिये । स्थान विचार घंटाकर्ण देव की साधना के लिए
- पवित्रस्थान में बैठना चाहिये भूमितल बाग, जलाशय अथवा देव स्थान की जगह उत्तम मानी गई है। स्थान की पवित्रता हो और उपद्रव रहित भूमि हो बाहर से किसी के द्वारा कोई उपद्रव होने की आशंका
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com