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घंटाकर्ण कल्प
३. राजा रावण ने देव सहायता से कई प्रकार की विद्यायें सिद्ध की थीं ।
४. श्री वज्रस्वामी महाराज को पूर्वभव के राग से मित्र देव ने विद्याएं दी थी ।
५. श्री हेमचन्द्रसरिजी महाराजा ने काश्मीर में रह कर सरस्वती की आराधना की थी, और गिरनार पर्वत पर देवी की आराधना करके वरदान लिया था ।
६. विमल शाह दण्ड नायक ने कुम्भारिया तीर्थ रह कर श्री अंाि देवी की आराधना की थी जिससे देवी प्रसन्न हुई और राजकाज चलाने में सहायक बनी और जिन मंदिर बनवाने में मददगार रही थी ।
७. प्रियंगुसूरिजी महाराज ने अंबिका देवी की धाराधना की थी।
८. उत्तराध्ययन सूत्र में लिखे अनुसार हरिकेशी मुनि को एक यक्ष ने बचाये थे ।
६. कोणिक राजा को युद्ध के कार्य में देव ने सहायता की थी ।
१०. जम्बूस्वामी के रास में लिखा है कि श्री मद् यशो
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