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चंटाकग कप
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'पुर के पास पागलोड गांव में है, जहां पर श्रीमणिभद्रवीर का मन्दिर गांव के बाहर बहुत बडा बना हुवा है । इस तरह से और भी बदतमी जगह चश्वरी, पद्मावती, काली, महाकाली, माणिभद्र. विमलेश्वर यन आदि की स्थापना की हुई हैं । घंटाकर्ण देव की स्थापना योगनिष्ट श्रीमद् बुद्धि सागर मूरिश्वरजी महाराज ने विजापुर के पास महुडी गांव में कराई है और श्रीमान जयसिंह मरिजी महागज ने बडोदा स्टेट के मामा रोड गांव में काई है जहां बहुत से लोग उपासना करने जाते हैं। देवों की उपासना. आराधना करने में कुछ अश्रद्धालु लोग विश्वास नहीं रखते और यहां नक कहते सुना है कि यह सब कथायें कल्पित है, साधारण मनुष्य कदापि ऐसी बात कहे तो आश्चर्य नहीं होता परन्तु विद्वान शास्त्रवेता अनुभवी के मुख से प्रेमी बातें निकलें जिसका खेद है। इस बात के लिए प्राचीन शास्त्रों में बहुत उदाहरण मिलते हैं उनमें से कुछ उदाहरण यहां उद्धत करना प्रसंगोचित है । १. त्रिपष्टिशलाको पुरुषचरित्र में वर्णन आता
है कि श्री कृष्ण महाराज ने अट्ठम तप करके . देव का आराधन किया था और देव हाजिर
हो पाया था। २. भरत चक्रवती न देव को प्रत्यन बुलाया था ।
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