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(१९) दश हजार गौओंका एक गोकुल ऐसे चार गोकुल रखना' ऐसा नियम किया । इसके सिवाय खेतोंमें कृषि करने के निमित्त पांचसो हल, पांचसो शकट बाहर देशान्तर भेजनेके योग्य और पांचसो शकट घरका कामकाज करने के योग्य इसकी भी छूट रक्खी, कि जिनके द्वारा ग्वेतोंमेंसे धान्य, काष्ट व तणादि लाये जायं । तथा जलमार्गसे यदि देशान्तरमें जानेकी जरूरत होवे तो इसके लिये चार जहाज रक्खे और चार जहाज क्षेत्रसे धान्यादि लाने के लिये भी रक्खे । अंग पूंछनेके लिये रक्तवर्णका ही रस्त्र, दंतधावनके लिये केवल जेठीमधका हरा दंतवन और फलमें मात्र क्षीरामलक फल रक्खा । तेलमें शतपाक और सहस्रपाक तैल; धूपमें शिलारस व अगरका धूप; पुष्पमें जाई व कमलिनी, आभूषणमें कानके आभरण व नामांकित मुद्रिका व स्नानके लिये आठ पारी समासके इतना पानीका घडा तथा पीठीमें पहुंचूर्णकी पीठी इतनी चीजों की छूट रक्खी। बाकी सभी प्रकारके अंगलूहण, दन्तुवन, फल, तल आदि पदार्थोका त्याग किया । तदुपरान्त दो श्वेत पटकूलको छोड कर अन्य वस्त्रोंके भी नियम किये। चंदन, अगरू, कुंकुम-इन तीनके अतिरिक्त अन्य वस्तुके विलेपनका भी त्याग किया। मुंग प्रमुखकी खीचडी, तंदुलकी खीर, एवं उज्ज्वल मीसरीसे भरे हुए व पुष्कल घृतमें तले हुए मेदाके पक्वान्नको छोड कर शेष पक्वानोंके भी पञ्चक्खाण किये । द्राक्षादिक हरी काष्ट पेया को छोडकर अन्य पेयाके भी पच्चक्खाण किये । सुगंधीमय कल्मशालिका कूर छोडकर दूसरे ओदनके भी नियम किये । उड़द और मूंगको छोडकर दूसरे विदलका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com