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भावार्थ-जो पुरुष चाइ यानि त्यागी होता है, दातार होता है, विनययुक्त होता है और चारित्रके गुणसे युक्त होता है, वह पुरुष सेंकडों सजन लोगोंमें विख्यात होता है अर्थात् महद्धिकोंमें प्रसिद्ध होता है । जिस प्रकार साकेतपुर पट्टनमें स्वल्प ऋद्धिका धारक धनमित्र सेठका पुण्यसार नामक पुत्र हुआ। उसने पूर्वकृत पुण्यके योगसे घर में चार निधान देखे, सो राजाने ले लिये और फिर उसे वापिस दे दिये । उसकी कथा कहते हैं :
" साकेतपुरमें भानु मित्र राजा राज्य करता था। वहां धन मित्र नामक सेठ रहता था। उसे धन मित्रा नामा भार्या थी। दोनों सुखमय जीवन निर्गमन करते थे । एकदा धनमित्रा स्त्रीने रात्रिके समय सोते हुए स्वप्नमें रत्नोंसे भरा हुआ सुवर्णका पूर्ण कलश मुख में प्रविट होता हुआ देखा । फिर जागृत होकर पतिके समक्ष बात कही, भरतारने विचार कर कहा कि-तुझे कोइ महाभाग्यशाली पुत्र होगा । यह सुनकर स्त्री अत्यंत हर्षवंत हुई। अनुक्रमसे पूर्ण मास होने पर पुत्रका प्रसव हुआ। वधाइ देने वालोंको पारितोषिक दिया। पुत्रका पुण्यसार नाम रक्खा। वयके साथही साथ रूप और गुणकी भी वृद्धि होने लगी। सर्व कलाओंको सीखा, यौवनवयमें एक व्यवहारिकी धन्या नामक कन्याके माथ विवाह किया।
एकदा पुण्यसार रात्रिके समय सुखनिद्रामें सोया हुआ था, उस समय लक्ष्मीदेवीने आ कर कहा कि-हे
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