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वीं शताब्दी) उत्तरपुराणमें भी कृष्ण की जीवनकथा है । दिगम्बरीय हरिवंशपुराण और उत्तरपुराण ये दोनों विक्रमकी नौवीं शताब्दी के ग्रंथ हैं ।
कृष्ण के जीवन के कुछ प्रसंगों को लेकर देखिए कि वे ब्राह्मणपुराणों में किस प्रकार वर्णन किए गये हैं और जैनग्रन्थोंमें उनका उल्लेख किस प्रकारका है ?
तुलना ।
ब्राह्मणपुराण
( १ ) विष्णुके आदेश से योगमायाशक्ति के हाथों बलभद्रका देवकी के गर्भ में से रोहिणी के गर्भ में संहरण होता है ।
- भागवत, स्कन्ध १० अ० २ श्लो. ६-२३ पृ० ७९९
(२) देवकी के जन्मे हुए बलभद्र से पहले के छह सजीव बालकों को कंस पटक-पटक कर मार डालता है ।
- भागवत, स्कन्ध १०, अ० २
हो,
जैन ग्रंथ
(1) इसमें संहरणकी बात नहीं बल्कि रोहिणीके गर्भ में सहज
है,
जन्म लेने की बात है |
- हरिवंश, सर्ग ३२ श्लो० ११०, पृ० ३२१
( २ ) वसुदेव हिन्डी ( पृ० ३६८, ३६९) में देवकी के छः पुत्रों को कंसने मार डाला, ऐसा स्पष्ट निर्देश है । परन्तु जिनसेन एवं हेमचन्द्रके वर्णन के अनुसार देवकी के गर्भजात छह सजीव बालकोंको एक देव, अन्य शहर में, जैन कुटुम्ब में सुरक्षित पहुँचा देता है और उस बाईके मृतक जन्मे हुए छह बालकों को क्रमशः देवकीके पास लाकर रखता है । कंस रोषके मारे जन्मसे ही उन मृतक बालकों
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