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wी धर्म प्रवर्तन सा२. ......
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PROGramBASEEGRAGResires ) हवे चोडं लक्षण उपशम, क्षय उपशम नावे, शान्त
एटले उपशम ते मोहनी कर्मनी प्रकृतिठनो सत्ताए आ- त्मप्रदेशे उपशम होवाथी उदयिकताना अन्नावे प्रदेशे अथवा विपाके विघ्न, परान्नव नहीं होवाथी आत्माने उपशम नावे शान्त कहीए. वली वीतराग कहीए, ए तेना बेनेद. एक देशथी अने बीजो सर्वथी, देशथी तो एक मिथ्यात्व एटले सिद्धांतना मते, त्रण पूज्य न करे. माटे है एक अने चार अनंतानुबंधी कषायनी चोकमी, मळी पांच प्रकृतिनो उपशम चोथा गुणगणे थाय, तीहां उपशमन्नावनुं समकित पामे, अने सर्वथी तो चार चोकमीना सोळ कषाय अने हास्यादी षट, त्रण वेद, ए नव नोकषाय, ए. टले कषाय तो नही, पण कषायने प्रगट करवानुं कारण माटे नोकषाय कहीए; एम बेहु मळी पचीस कषाय अने 3 एक मिथ्यात्वमोहनी, बीजी मिश्रमोहनी, त्रीजी समकिहूँ तिमोहनी, ए त्रण मळी अठ्ठावीस प्रकृतिनो उपशम, श्रर गीयारमा उपशान्तमोह गुणगणे थाय, तीहां उपशमन्ना
व, यथाख्यात चारित्र पामे, ए बे नेदनी स्थिति अंतर १ अंतर मुहर्तनी डे; ए उपशमन्नावे शान्तना बे नेद कह्या,
हवे क्षयउपशमन्नावे शान्त गवेखे . ते चारे घातिकर्मनी प्रकृतियोनो कय उपशम होवाथी संपजे; तेना विचीत्र
नेद बे, परंतु समुदाये बे नेद, एक अज्ञानयोग अने अ-3 & ज्ञानयोगनिश्रा, बीजो ज्ञानयोग श्रने ज्ञानयोगनिश्रा, श्र
ज्ञानयोग ते, समकितना अन्नावे प्रथम गुणगणे क्षयन 6 PROGR AMMINGal
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