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श्री घर्भ प्रवर्तन सा२. सरखा नादवालो वाघ जेम हरिणने मारे तेम तेउँने मार्या ते सांतली परसुराम पण गुस्से थश्ने जाणे कालना पासथी खेचायो होय नहीं तेम त्यां श्रावी लाग्यो अने तेणे सुजूम उपर पोतानी परसु मुकी, पण अग्निनो तणखोजेम पाणीमां नष्ट थाय तेम ते परसु नष्ट थयो ते वखते सुनूमे पण पो
ता पासे हथियार न होवाथी ते दाढोवालो थाल ऊपाड्यो 6 5 अने ते थाल तुर्तज चक्ररुपे थयो कारण के पुण्य संपदाथी
शुं नथी थतुं? एवी रीते ते आठमा चक्रीये ते चक्रथी परसुरामनुं मस्तक, कमलनी पेठे बेदी नाख्युं जेम परसुरामे सातवार पृथ्वी क्षत्रिय रहित करी हती, तेम आ सुत्नमे एकवीसवार पृथ्वी ब्राह्मण विनानी करी तथा पाउलथी तेणे उ खंग पृथ्वी साधी. वली वैताढ्यनी गुफाओ खोली
अने नरतना ऊत्तर खंगमां दाखल थम्लेडोने तेणे जीत्या र एवी रीते चारे दिशामां नमीने घंटी जेम चणाने पीसे तेम तेणे सुन्नटो मारीने पृश्चिने जीती खंमनुं राज्य मेलव्यु चौद रत्न नव निधान पचवीस हजार देवो सेवामां इत्यादि चक्रवर्तीपणानी ऋद्धिये पूर्ण थतां, पण लोननी दसा तेनी अटकी नहीं, अपूर्णताज नजरे आवी. ते चितवे के मारा जेवा तो नरत आदे चक्रवर्ति पूर्वे घणा थया तेमा हुँ 9 पण एक वधारे. एमनाथी मारी कंश अधिकता कहेवाय नहीं है
पली लोको मोटाइन बोले, मारी मोटा तो क्यारे थाय के बीजा धातकिना ब खंम साधु त्यारे जगतमां मारो यश विस्तरे, एटले मारा जेवो को पूर्वे थयो नथी अने वळी ransex
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