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________________ SASARAMBHOGree श्री धर्भ प्रवर्तन सा२. यादिक वस्तु रूपी. जीवनो गुण झायकता अने. पुदगलनो गुण समण, पमण, विध्वंसण . जीव तो अविनाशी, अने पुद्गल विनाशी. एम जीवनी अने पुद्गलनी जिन्नता , एम समजी जूदा करवी तेमां कशोए उपचार नथी तेने अनुपचरित व्यवहार कहीए. तथा च वि शेषावश्यके महानाष्यमां कडंडे, जे व्यवहार नयना मू) ळ बे नेदले. एक व्हेंचणरूप व्यवहार ते व्यादिक व स्तुने नेद नेदांतर करी व्हेंचवें तेने व्हेंचणरूप व्यवहा& रनो पेहेलो नेद कहीए. बीजो प्रवृत्ति व्यवहार, तेना त्रहैण नेद. वस्तु प्रवृत्ति, साधन प्रवृत्ति, अने लोकिक प्रवृ त्ति. तेमां पेहेलो नेद वस्तु प्रवृत्ति एटले जीवनो स्वन्नाव तो ज्ञान दर्शन चारित्र आदि अनंता गुण पर्यायरूपले. ते सर्व स्वन्नाव आवरण योग सूषित थयाडे. ते आवरणरनो क्षय साधन योगे बीजा नेदमां थशे, त्यारे चेतन नि रावरण थयो कहीए ते पोताना खन्नावे प्रवृत्ति करे. एक समय काळे अनंती प्रवृत्ति थाय, तथा पांच अव्यतो अजीव . धर्मास्तिकायादि ते सर्वे पोताना स्वन्नावे प्रवर्ते बे, तेने वस्तु प्रवृत्ति कहीए. ६ हवे बीजोत्नेद साधन प्रवृत्ति, तेना त्रण नेद लोकोत्तर सा१) धन, लौकिक साधन कुपरावचनीक साधन.तेमां लोकोत्तरसा६ धन प्रवृत्ति ते अरिहंत नगवाननी आझाए. शुद्ध साधन मार्गे इहलोक संसार पुद्गल नोग श्राशंसादि दूषण रहित जे . हे रत्नत्रयीनी परिणति परत्नाव त्याग सहित तेने लोकोत्तर PRORAGAR GARAGreAGAR PRAGACASSGNOSTRA (२८) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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