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________________ स्तन अधिार. 9 दायक समकित वेदक करीने लहे चोथे वा सप्तम गणे॥ , 9 दायक चरणगण दसमा अंते, करे उनमूळ मोहनुं ते टाणे ॥ मारु० ॥ ५ ॥ केवळझानने केवळ दर्शन, दानादिक वळी । पांच ॥ ए सप्त गुणगण छादश अंते, सवे दायक नव नहीं खांच ॥ मारु०॥ ६॥ ज्ञानावरणीने दर्शनावरणी, अंतराय है & सत्ता खुटे। तेनो अंत गण द्वादश अंते, एम घाति कर्म सवि बुटेमााए हायक ऋद्धि आत्म सत्ताये,अनादिशक्तियेजाणो॥महावीर प्रनुएव्यक्ति नावे करीने, अयोगी अंते अघाति 6 अंत आयो॥ मा० ॥ ७॥ ए सिद्ध निरंजन समश्रेणी लोक शिखर करे वास ॥ त्यां लोगवे अव्याबाध सुख के अनंतु, लागे सादि अनंत नंग खास ॥ मारु० ॥ ए ॥ ए. सुखना रसीया मनोरथ करता, उपयोग नावे रमता ॥ झान शीतळ हणे मोहनी उपाधि, ते समाधि ये शीव पद ५ वरता ॥ मारु० ॥१०॥ ॥ स्तवन १५ मुं श्री वीरमभुर्नु ॥ 5॥थारां मेहेला उपर मेह फरुखे वीजळी हो लाल ए देशी वीर जिनेश्वर देव शासन पति जगधणी हो लाल ॥ शासनपति जगधणी॥ तुं उपगारी महासंत महंत अनंत १ गुणी हो लाल ॥ महंत ॥ ज्ञान ध्यान उपयोग वीर्य बळ ३ एक्यता हो लाल ॥ वोर्य० ॥ अनुन्नवे अन्य पर्याय स्वन्ना६ वनी टेकता हो लाल ॥ स्वन्नाव० ॥१॥ उदिक नाव १ नहीं व्यापे व्यापक उपयोमा हो लाल ॥ व्यापक ॥, हे ज्ञान समग च धार अपूरव खेलमां हो लाल ॥ अपूर्व० ६ PRGONEditions ROGRAGN GORAGROGRAGAGNAGAR GREAGAR ( २९४ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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