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________________ PANGBGGORomangram સ્તવન અધિકાર. Seronormon GroundMine ६ ॥६॥ वरघोमेथी उतर्या, सहसावन मोकार॥ श्रावण शुदी । हने दिने, ग्रहे महाबत चार ॥ हांहां रे ग्रहे महाव्रत १ चार ॥ हांहारे साथे पुरुष हजार ॥ हांहां रे लीये व्रत मनोहार, हांहां रे करे तत्व विचार ॥ हांहां रे वहे शीव पंथ सार ॥ हांहां रे लहे धर्म अपार ॥ नेमि० ॥ ॥ मन है पर्यवज्ञान उपन्युं, अप्रमत गुणगणे ॥ विपुलमति चढती 6 कळा तेनो उपयोग नाणे, हाहां रे तेनो उपयोग नाणे, हांहारे उपयोग श्रुत नाणे ॥ हांहां रे अनुन्नव घट आणे, हांहां रे निज पर नेद जाणे ॥ हांहांरे हण्यो मोहान . बाणे, हाहां रे त्रुटयो राग ते टाणे ॥ नेमि निरागी संयम लीये रंग अंतर मांही ॥ ७ ॥ उद्मस्थ चोपन दिन वितीया सनातक तीहां थावे ॥ अनंत चतुष्टय पामतां, अरिहंत कहावे ॥ हांहां रे अरिहंत कहावे, हांहां रे तीहां राजुल आवे हांहां रे, वळी शीश नमांवे,हांहां रे प्रजुना गुण गावे॥ हांहां रे मेली क्यां शीव जावे, हांहां रे गेम्यां नहीं मुने फावे ॥ नेमि० ॥ ए ॥ दीक्षा दीये तीहां साहेबो, ह लीये राजुल रंगे॥ अप्रमत्त गण सेवतां हण्यो मोह एकंगे ? हाहां रे हण्यो मोह एकंगे, हांहारे तीहां वीर्य अन्नंगे ॥ हांहारे दे सर्व कर्म चंगे, हांहां रे नव खायक अंगे ॥ ६) हांहां रे वसे शिवपुर संगे, हांहारे पेहेलां सिद्ध उमंगे ॥ ६ नेमि० १० ॥ सहस वरसर्नु आवखं, पाळी गढ गिरनार ॥ परण्या अपूरव महोच्छवे, शीव सुंदरी प्यार ॥ हांहारे है शीव सुंदरी प्यार, हांहारे समश्रेणी त्यां धार ॥ हांहारे 6 ___(२६) KRABERGaro Browse YPACEMBEROBreorooreeMBEroeas Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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