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________________ ROVERGARGGEROGRIDGORGram સ્તવન અધિકાર, GROGRAMGAGRAM उद्योत परमानंद रश्मे रे ॥ म० ॥ ॥ सैलेशि करण 9 स्थिर धुन पुद्गल योग रंधीरे ॥ योगातीत स्वन्नाव सहे १ तब शुद्धि रे ॥नाग एक पोलाण घटे घन नाग छीरे ॥ है एकं समय समश्रेणी लोकाग्रे सिद्धिरे ॥ मति ॥ एं॥ ६ गुणपर्याय स्वन्नाव अनंत रमंत रे॥ निज निज व्यक्ति निन्न परमानंदवंतरे ॥ आनंद लहरी विलसंत नंग सादि-6 नंत रे ॥ निमित्त कारण महिनाथ नंग सादि संत रे॥3 महिः ॥ १० ॥ सार्थवाह सिद्ध साथ नाख्यो सिद्धांते रे॥ गायो निज गुण हेते सुणो सवि संतरे ॥ तरण तारण जिन जहाज निमित्त बळवंतरे ॥ उपादान संयोगे सेवो गुणवंतरे ॥ मलिः ॥११॥ प्रत्नावतीनो नंद सेवे सुर वृंदरे॥ र कुन नरपति कुळ चंद पूजे पाय नरिंदरे। जन्म महोच्छव सुर इंद्र करे मेरु गीरीदरे ॥उलट अंग न माय प्रसन्न चित्त चंदरे । म.१२ सहस पंचावन आयुवरण नील कायरे॥पंचवीस धनुष्य प्रमाण, लंबन कळश पायरे ॥ मिथिला नयरीए जन्मीया जीनरायरे ॥ समेतशीखर निर्वाण कर्मथी मुकायरे ॥ मबि० ॥ १३ ॥ ओगणीसमो जिनेंड चव्रत धारी रे ॥ बद्मस्थ काळ दीन एक घातिकर्म बारी रे ॥ केवळनाण दर्शण पामीने उपगारी रे ॥ बोधि बीज दातारी शीव सुखकारीरे ॥ मलिः ॥ १४ ॥ सार्थवाह सिद्ध साथ यथारथ कीधोरे ॥ आतमरूप नीहाळी अनुन्नव पीधो रे॥ 9 नोयणी नगरमां वीराजे दर्शन लान्न लीधो रे ॥ ज्ञान , शीतळ ए साथ मदयां काज सिद्धोरे ॥ मलिः ॥ १५ ॥ HEALBERemixossor @reareArore CororoMONOMOEMBread Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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