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· स्तवन अधि४२.
॥ स्तवन ७ मुं श्री ऋषभदेव स्वामीनुं ॥ . . ॥ प्रणमुं पद अढारमुरे लाल ॥ ए देशी ॥
आदि जिणेश्वर पूजीयेर लाल, स्नान करी पेहेरीये , चीररे ॥ केशरीया लाल ॥ जीन मुखाने निहाळीएरे लाल, 5 अंगे मोर पीली कीधरे ॥ केशरीया लाल ॥ आदि जिणेश्वर है पूजीयेरे लाल ॥ ए आंकणी ॥ गाथा ॥ १॥ त्रिकरणयोगे 6
स्थिरता करी रे लाल ॥ करीये न अन्य वीचाररे ॥ के० ॥ ३ उपयोग स्वरूपें जोमीयेरे लाल ॥ रमण घटंतर धाररे ॥
के० ॥ आ० ॥२॥ पंचामृते पखाळीयेंरे लाल ॥ करीये जळ अनिषेकरे ॥ के० ॥ वाळाकुंची रुकी कीजीयेरे लाल जळधारा मामीनो विवेकरे ॥ के ॥ आ ॥३॥ अंग लोहणां त्रण कीजीये रे लाल॥ बरास लेप अंगे थायरे॥ के अत्तर केवमो गुलाबशुरे लाल ॥ पूजीये त्रीजुवनरायरे ॥के० ॥ ० ॥४॥धूपदशांग उखेवीये रे लाल ॥ केशर जाउँ घोळी नेळरे ।। के० ॥ मृगमद कस्तुरी तेहमारे लाल ॥ अरचो नव अंगे रंगरेलरे ॥ के० ॥ आ० ॥ ५ ॥ पुष्प चंपोने वळी मोगरो रे लाल ॥ जाइ जुश्ने गुलाबरे ॥ के० ॥ हार उत्तम ताजा पुष्पनारे लाल ॥ उवो प्रजु कंठे नरी बाबरे ॥ के० ॥ श्रा० ॥६॥ दोय शिखानो कीजे दीवमोरे लाल ॥ पूरीये मांही ताजु घृतरे ॥ के ॥ अखंग दीवो प्रनु श्रागळे रे लाल ॥ राखीये सदा नक्तिवंतरे ॥ के० ॥ श्रा० ॥ ७॥ अक्षत अणी शुद्ध उजळारे लाल ॥ साथीयो कीजे नंदावर्त रे ॥ के० ॥ उपर श्रीफळो मूकीने रे लाल ॥
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