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________________ ranoranormore PrexGreAGRAMRAPARASIRABARABAR ॥ के रंग ॥ तुं उपगारी पूज्य तार कहुंईं तुने रे ॥तार॥ १ तुजवीण दुजो देव न दीसे दयालु रे ॥ न दीसे० ॥ क रुणासिंधु मनमाहेन तुही, मायालु रे ॥ के तुही० ॥४॥ 5 तुज नक्ति शुद्ध युक्ति मुक्तिने खेंचशेरे ॥ मुक्तिने ॥ ७ जीव पुद्गल दोय निन्न जाति नेद व्हेंचशे रे ॥ जाति ॥ नेद शान- ए काम बीजाथी न नीपजे रे ॥ बीजाथी० ॥ तमरुप अनंत महंत तीहां नजे रे ॥ महंतः ॥५॥ अनंतर आतम सिजे त्यां वार लागे नही रे ॥ त्यां वार० ॥ अनुन्नव मित्र चेतन शुद्ध दोय मिळे तहीं रे ॥ के दोय० आणंद लहेर अन्नंग रंग तीहां वधेरे ॥ के रंग ॥ ज्ञान, शीतळ, ए काज आज पूरण सधे रे ॥ के श्रा० ॥ ६ ॥ ॥ संपूर्ण ॥ स्तवन ॥ १७ मुं॥ ॥ मरकलमानी देशी॥ कंथुनाथ जिन पूजोजी ए प्रजु गुण नीलो ॥ उनिश्रामां देव नहीं दुजोजी ए प्रनु गुण नीलो॥ द्रव्य नाव दोय नेदेजी ॥ ए प्रजु० ॥ तेमां नावपूजा अखेदेजी॥ एक ॥१॥ द्रव्य पूजाए द्रव्य उपयोगजी ॥ ए ॥ शुद्ध चेतन नहीं संयोगजी ॥ ए० ॥ नाव पूजाये शुद्ध उपयोगजी ॥ ए० ॥ इहां आत्मस्वरूप थयो नोगजी ॥ ए० ॥॥ द्रव्य पूजा ने चार नय शुद्धजी ॥ ए० ॥ नाव पूजाए श9 ब्दमां बुद्धिजी ॥ ए ॥ द्रव्य पूजा आरोपित दाखीजी है ॥ ए० ॥ नावपूजा अणारोप नाखीजी ॥ ए० ॥३॥ एम ____(२१८) PRAroraxisdrewersna reOEMBrooreovaranevarovaro Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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