SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 175
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ શ્રી ધર્મ પ્રવર્તન સાર.. Gree RERAGHAGRA GREAR GRAGirls श्री गुरुन्योनमः ॥ अथ श्रधा प्रकरण लीख्यते ॥ दुहा. प्रणमुं मझी जीणंदने, नग्र नोयणी सार. 3 यात्रा कारण आविया, जीन मंदिर दरबार ॥॥ दर्शन पुर्खन देवनु, समकित देतु मर्म. त्रण तत्वसही नाषियां, देव गुरुने धर्म ॥२॥ श्रद्धा स्थिर शंका नही, ते समकित व्यवदार; रचना कारणे ते करूं, श्रदा प्रकरण सार ॥३॥ & सर्व धर्मनुं मूळ ए, फळदायक आचार; क्षा विण फळ नवी लहे, समजो चतुर विचार ॥४॥ १ देव गुरुने धर्मनु, अनुक्रम वर्णन थाय; ते जाणी भवि सद्दहो, जन्म सफलता पाय ॥५॥ १ ॥ढाल पेहेली॥ . ॥ अहो सर्व गुणी मुनिसुव्रत जीनराय काज मुज सारो-ए देशी ॥ व अहो सर्व गुणी वितराग अरिहंत सिद्ध विण देव १ नहि दूजो, घट ज्ञान लावी आत्म सत्ता गत धर्म जाणी नवि बूजो॥ ए आंकणी. निज निज सत्ता घट घट नासे, . ॐ त्रिकाळ वृत्तिए नहि क्षय थाशे, अखंग अविनाशी तेहि है अव्य दाख्यो,, संग्रह नय पदे सर्वानाख्यो ॥ अहो॥१॥ PRAGYAgreeMAGE RRORAGARAGRAORAGE GARAGRAGre Gror & Grorensaner Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy