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________________ ORDER GrenoNSARANG श्री धर्म प्रवर्तन सार. ६) परीताप उपजेरे ॥ उदय बादर पृथ्वी ए कहायरे ॥ प्राणी, ए ॥२७॥ उद्योत नाम कर्म उदय थकीरे ॥ शांत मुद्रा शीतळ गय ॥ परने प्रमोद हेतुएरे ॥ चंद्रोदय अमी वरसायरे ॥ प्राणीए ॥ २७ ॥ शुन्न विहायो गती उदय थकीरे ॥ पामे हंस सरखी ए चाल ॥ शीख्यां अणशीख्यां संपजेरे ॥ उदय अन्नावे न लहे ते ख्यालरे ॥प्राणीए" ॥ श्ए ॥ निर्माण नाम कर्म उदय थकीरे ॥ अंगना अवयव सर्व ॥ योग्य स्थापे सूत्रधार ज्युरे ॥ सांधा मेळ पुद-6 गल अव्यरे ॥ प्राणीए० ॥ ३० ॥ जिननाम कर्म उदय थकीरे ॥ समोसरणादी पामे ऋद्ध ॥ सेवे असंख्य कोमी देवनीरे ॥ अनंत पुन्योदय तीहां कीधरे ॥ प्राणीए० ॥ 3३१॥ आहार निहार अन्य देखे नहीरे ॥ प्रस्वेद मळ र रहित शरीर ॥ श्वास सुगंध महके कमळज्युरे ॥ मांस लोही उज्वल जेसी खीररे ॥ प्राणीए० ॥ ३२ ए चार अतिशय जन्मथीरे ॥ घाती कर्म खपे एकादश ॥ श्रोगणीस देव कृत्य संपजेरे ॥ ए चौतीस अतीशयव्रत तसरे ॥ प्राणीए० ३३ ॥ पण तीस गुण नर वाणीयेरे॥ नवी जीवने ॥ १ करे उपदेश ॥ बोध बीज पामे घणारे ॥ होवे विरति परिणामी रुमा बेशरे ॥ प्राणीए० ३४ ॥ कोश होवे साधु साधवीरे ॥ को श्रावक श्रावीका थाय ॥ क्षय उपशम अप्रतिहतनेरे ॥ दीये गणधर पद जिनरायरे ॥ प्राणीए०१ 9) ३५॥ त्यां द्वादशांगी रचना करेरे ॥ ज्ञान सब्धिए गण धरराय ॥ ए तीर्थ स्थापना कहीरे ॥ देशना निष्फल नही १ sexi s tories eGBrogram Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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