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श्री धर्म प्रवर्तन सा२, १॥प्राणीए० ॥ १७ ॥ आहारक अंगोपांग उदयथकिरे ॥
बांधे अंग ऊपांग ॥ पूर्वे कडं ज्युं उदारीकरे ॥ १ ॐ एम नावो ए जोग अती चंगरे ॥ प्राणीए० ॥ १७ ॥
तेजस शरीर उदय थकीरे ॥ आहार- पाचन थाय ॥ जठरा अग्नि एहबेरे ॥ उदय अन्नावे काळ कहायरे ॥ प्राणीए० ॥ १७ ॥ कार्मण शरीर उदय थकीरे ॥ कार्मण दळ बंधाय ॥ असंख्य प्रदेशे ऐक्यतारे ॥ एखीर नीर द्रष्टांत न्यायरे ॥ प्राणीए० ॥ २० ॥ प्रथम संघयण उदय थकीरे ॥ हाम संधि अढ बंधाय ॥ मर्कट बंध दोय पासथीरे ॥ उपर पाटाए खीली जमायरे ॥ प्राणीए० ॥ २१ ॥
पहेला संस्थान उदय थकीरे ॥समचनरस पलांगी राय॥ 3 मानो जानु जमणे खन्नेरे ॥ जमणो जानु माबे सम थायरे
॥प्राणीए० ॥ २२ ॥ वर्ण चतुष्क उदय थकीरे॥ रस शुन्न 3 वर्णी काय ॥ सुवास कमल ज्युं महमहेरे ॥ शुनफर्स महूँ नोज्ञ कहायरे ॥ प्राणीए ॥ २३ ॥ अगुरु लघु नाम उदय
थकीरे ॥ शरीर मध्यस्थता पाय ॥ नहि पुष्टता नहि क्रसए तारे ॥ ते अगुरु लघु नाम कहायरे ॥ प्राणीए० ॥२४॥
पराघात नाम उदय थकीरे ॥ अंनत बळ वीर्यता पाय ॥ एकपणे जीते अनेकजुरे ॥ नूजा बळे समुख
तरी जायरे ॥ प्राणीए ॥ २५ ॥ श्वासोश्वास उदय g थकी।सुखे श्वासोश्वास लेवाय ॥ विघ्न संनव होवे नहिरे॥ M) लब्धि बतां सजीवन कहायरे ॥ प्राणीए० २६ ॥ श्रातप
नाम कर्म उदय थकीरे ॥ तीखी तेजे तप्ती काय ॥ परने sansarmireon .
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