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________________ SARGBra RAMBIGGregoriGIRamroSane PREASSAGARMATKARISEASeAng नवीने अन्नवीमां॥ अनादी अनंत अन्नवीने.लागे॥ अनादी संत नाप्यो नवीमारे॥नवीका ॥ ए क्रीया॥१५॥ श्रनादी क्रीया जब त्याग होवे ॥ तब होवे आत्म अबंध ॥ ज्ञान शीतल उज्वल घटमांही॥ ते लहे शीवसुख संबंधरेलवीका ॥ ए कीया अन्नीनवप्यारी ॥ १६ ॥ ढाल पंदरमी संपूर्ण॥ ॥ ढाल सोळमी ॥ ॥ कपुर होवे अती उजळोरे-ए देशी ॥ S: चौकर्म अघाती पूर्व बंधनीरे ॥ शुन्न प्रकृति होय 6 जेह ॥ तेनो उदय पुन्य कीजीएरे ॥ दाखं बायाली नेद तेहरे ॥ प्राणीए पुन्य तणो अधिकार ॥ ते संसारे सुखनुं गेहरे ॥ प्राणीए० ए आंकणी ॥१॥ साता वेदनी । उदय थकीरे ॥ करे सुखनो अनुलव ॥ मधु लेप खमंग धारज्युरे ॥ चाटयां जीन कापे पुःख थाय तवरे ॥प्राणी ए॥२॥ उंच गोत्र उदय थकीरे ॥ उंच कुळे जन्मे ६ जीव ॥ मान पूजा प्रतिष्टतारे ॥ लहे श्रादर सत्कार दीव्यश्रे॥प्राणीए० ॥ ३॥ सुख आयुष कर्म उदय थकीरे ॥ पामे त्रण गति पर्याय ॥ काया देव मनुष्य तिर्यंचनीरे ॥ १ हेम बंधन ए सर्व कहायरे ॥ प्राणीए० ॥४॥ ए त्रण क@ मना कह्यारे॥ पांच नेद ते उदार ॥ हवे सप्ततीस नामनारे॥ १ ए नेद विचित्र चितारे रे॥ प्राणीए० ॥५॥ मनुष्यधिक नाम उदय थकीरे ॥ पामे मनुष्य गति पर्याय ॥ मनुष्य- १ नी आनुपुरवीरे ॥ वक्रगती उत्पत्तिये लायरे ॥ प्राणीए। ॥६॥ सुरद्रिक नाम उदय थकीरे ॥ पामे देवगति पर्याय॥ १ (१५०) Grenorroresransra Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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