SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ABORAGARGORARGreGroo श्री धर्म प्रवर्तन सा२. १ कह्या ॥ हवे कहं मिश्र त्रण कायारे ॥ उदारीक वैक्रिय बीजी॥त्रीजी आहारक कहायरे ॥ योगः ॥ १३ ॥ ए त्रण नाम ते मुख्यता ॥ गुणता मिश्र ते दाखुरे ॥ तेजस कार्मण मिश्र ए ॥ ए सर्व सात नेद नाघुरे ॥योग० ॥१४॥ 5 ए मुळयोग नेद त्रण कह्या ॥ उत्तर कह्या पंच दशरे ॥ चउद नेद सादि सांत ॥ एक नेद आगे कहीसरे ॥ योग०॥ १५ ॥ तेजस कार्मण काय योगनो॥ ज्ञान शीहै तल कहे संबंधरे ॥ अनादी अनंत अन्नवीने ॥ नवीने 6 अनादी संत नंगरे ॥ योगः ॥ १६ ॥ ढाल चौदमी संपूर्ण॥ के ॥ढाळ पंदरमी ॥ ॥ए नमी कीहां राखी-ए देशी ॥ 3 कर्म बंध निरंतर करीये ॥ ए विनाव क्रीया कहीये ॥ जीवने पुद्गल दोय मील्यां होवे ॥ एक जीवपणे न लरहीयेरे नवीका ॥ ए क्रीया अनादीतारी॥ ए आंकणी ॥१॥ र ए बंध चउन्नेदे दाखं ॥ प्रदेश प्रकृतिबंध ॥ रसबंध स्थिती १ मर्यादा ॥ अष्टांत लामु संबंधरे नवीका ॥ ए क्रीया ॥२॥ प्रदेश तेही बाटो कहीए ॥ खांन गोळ प्रकृति॥रस ते घी १ नेली सामु वाळो ॥ थीती मर्यादा उरतीरे ॥ नविका ए , क्रीया० ॥ ३॥ ए कह्यो नय हवे उपनय दार्खा ॥ शुन्ना शुन जेवी क्रीया ॥ तेवो आश्रव करम दळ खेंचे ॥ खंध ६ परमाणु अनंता नरीयारे। नवीका ॥एकीया०॥४॥प्रकृति, चनकषाय कहीए ॥ अनंतानादी नेद चल ॥ नोकषाय मिथ्यात्व ए वीस॥ जेसी होवे तेसी बांधे बहुरे। नवीका 6 (१४८) STMaroradardasreereareranGrenore Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy