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________________ areAGree REMRAGRAGRAMSARORAGra Gras दूजोरे ॥ असत्य असत्या सत्यए ॥अर्थ सूणी नवी बुजोरे : ६॥ योगः ॥२॥ शुद्ध वेहेवारे मन रमे ॥ घटमां नेद 9 ज्ञान आवेरे ॥ नीरावर्ण गुण आत्मा ॥ केवळ ज्ञानादि ध्यावेरे ॥ योग० ॥३॥ नय ऋजु सूत्र सत्य मन्न ए॥हवे सत्या सत्य दाखुरे ॥ मतीज्ञानादी गुण आत्मा ॥ उपयोग के हे व्यवहारे राखंरे। योगः ॥४॥ असुद्ध वेहेवारे असत्य मन॥ समजे काया तेह जीवरे ॥ असत्या सत्य शुन्न व्यवहारे ॥ कर्म जनित काया गेहरे ॥ योग० ॥ ५॥ ए चउन्नेद मनना कह्या ॥ तेम वचन चउजाणोरे॥ चिंतवे बोले पटं तरो ॥ ए आठ नेद परमाणोरे ॥ योगः ॥ ६॥ हवे का६ याना सात कीजीए ॥ पहेलो योग उदारीकरे ॥ बीजो उदारीक मिश्र ए ॥ त्रीजो वैक्रिय करे ॥ योग० ॥ ७ ॥ चोथो वैक्रिय मिश्रए ॥ पांचमो आहारक जाणरे ॥ बहो आहारक मिश्रए ॥ सातमो तेजस कार्मणरे ॥ योग० ॥७॥ ए सात नेदे काया कही हवे कहुं तस अर्थरे ॥ मनुष्य तिर्यंच दोयगती प्रत्ये॥ उदरीक काया गर्थरे॥योग० ॥ए॥ देवनर्क दोयगती प्रत्ये ॥ काया वैक्रिय जाणोरे ॥ आहारक प्रमाद गणे करे ॥ चौद पूरवी राणोरे ॥ योग० ॥ ॥ १० ॥ आयुष बांधी मरी देह ठगेमीने ॥ जीव नवांतर जायरे ॥ तेजस कार्मण लेश्ने ॥ उपजे तीहां आहार था यरे ॥ योगः ॥ ११॥ मरी कायाथी जीव बूटीयो।जश्ने ७ 5 आहार न लीधोरे ॥ अंतरालवृत्ति तेटसा समे ॥ तेजस , कार्मण कीधोरे ॥ योगः ॥ १२ ॥ ए चल लेद प्रत्येके ६ ___(१४७) BaresearGhare Srirana.org Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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