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________________ ARREARRIGER GROGeore श्री धर्म प्रवर्तन सा२. ६ पचवीस कह्या ॥ सही० ॥ जोग नेद पंच दश सार ॥ सही० ॥ सर्वे सत्तावन थया ॥ सही० ॥ अनुक्रमे करूं १ 9 विस्तार ॥सही० ॥ ३ ॥ मीथ्यात्व पहेलं अनिग्रही है ॥ सही० ॥ ग्रयुं न गमे खर पूबवत ॥ सही ॥ हब मत 5 ग्रह्यो कुबुद्धिथी । सही० ॥ तीहां लोह वाणीयानुं अष्टांत ॥ सही ॥४॥ अण अनिग्रही बीजं मिथ्या ॥ सही॥ 5 नहि परीक्षा पीतळ के हीम ॥ सही० ॥ दूध डास नेद जाणे नहि ॥ सही० ॥ इहां सत्य असत्य एकतीम ॥सही० ॥५॥ अन्नीनीवेसी मिथ्या त्रीजु ॥ सही० ॥ खोटुं जाणी खलं करवानो हह ॥ सही० ॥ युक्ति कुयुक्ति घणी करे ॥ सही० ॥ माया नाषाथी न करे ए शह ॥ सही० ॥६॥ 3 मिथ्यात्व संशय ते चोथु ॥ सही० ॥ जीन वचनमां संका हूँ दोष ॥ सही० ॥ अपेक्षा नय समजे नहि ॥ सही० ॥ १ तीहां बोले बोले संकानो जोष ॥ सही० ॥ ७ ॥ मिथ्यात्व अणा लोग पांचमुं ॥ सही० ॥ नहि जाणे ए धर्म के कर्म १॥ सही० ॥ अजाण नवळो सर्वथा ॥ सही० ॥ रच्यो । पच्यो संसारमा पर्म ॥ सही०॥ ॥ मिथ्यात्व वसे संसारे १ का ॥ सही० ।। पुद्गल परावर्त अनंतं ॥ सही० ॥ हवे ! ६ मिथ्यात्व न बोमशो ॥ सही० ॥ तो करसो पुनरपी अनंत ॥ सही० ॥ ए ॥ अनंत पुद्गल परावर्तनो ॥ सही ॥श्र नादि मिथ्यात्व मालीक ॥ सही० ॥ समकित पामीने पमे १ 5 ॥ सही० ॥ तोपण अर्ध पुद्गल ठीक ॥ सही० ॥ १० ॥ अ- 3 हे नादि मिथ्यात्व समको नहि ॥ सही निर्दय शत्रुए दुष्ट , "One Crore@oreoreogreArosa (१४१ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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