________________
તેન સાર
RBAGreAGRAMME BAGrdars १ श्राउ नेद नाम॥ सीत उष्ण नारे हलवो ताम ॥ नवी ॥ स्निग्ध रुक्ष कोमळ बरसट ॥ फरस सवेए कह्या अष्ट ॥ १ ॥ नवी० ॥ ६॥ ए चौ पर्याय नाण्या सार ॥ वळी गुण गावानो के विचार ॥ नवी० ॥ इंद्री नोइंद्री मन वचकाय ॥ पर्याप्ति प्राण पुद्गल ताय ॥ नवी० ॥ ७॥ संघयणने वळी संस्थान ॥ खेस्या संझा ए पुद्गल स्थान ॥ नवी० ॥ ज्योनी वेद जनमने मरण ॥ जरा जरा दोय पुद्गलरण ॥ नवी० ॥ ॥ श्राहार नीहार गता गती जेह ॥ अवगाहना ए पुद्गल तेह ॥ नवी० ॥ पुद्गल सुक्ष्मने बादर ॥ आधि व्याधि ए पुद्गल सर ॥ नवी० ॥ ए ॥ आले कर्म कह्यां पुद्गल ॥ बंध उदय ए पुद्गल दल ॥ नवी०॥ र सत्ता उदीरणा कर्म कहाय ॥ पून्य पाप ए पुद्गल ताय
नवी० ॥ १० ॥ इत्यादि पुद्गल गुण अनंत ॥ ते जोगे संसार नाषे संत ॥ नवी ॥ज्ञान शीतल कहे टालो तेह ॥ नीज वृत्तिए लहो शीवगेह ॥ नवी० ११ ढाल नवमी॥
॥ढाळ दशमी ॥ धन्य धन्य ते जग प्राणीया मन मोहन मेरे-ए देशी॥
श्राव हेतु नाषीए सही चेतनमेंरे ॥ तेमां पहेलो ए ट्र हेतु मिथ्यात ॥ सही० ॥ अव्रत बीजो कषाय त्रीजो १॥ सही। ॥ जोग चोथानी कहुं वात ॥ सही ॥१॥
मुळ हेतु चढए कह्या ॥ सही० ॥ उत्तर सत्तावन नेद
॥ सही ॥ तेमां मिथ्यात्व पंच नेदे कह्या ॥ सही॥ | ६ श्रव्रतना कह्या बार लेद ॥ सही ॥२॥ कषाय नोकषाय ६ vidrosnewsagroMIGRAN
a ranormation
GARAGAOLGIRGAOLGIRIGARLGrore
Gre Gre
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com