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________________ Onearedeoaseeoroorera RSearBaMGARAMBOGra श्री धर्म प्रवर्तन सार. ६ गवेखतां ॥ देवचंडजीए नाषीरे ॥ समजो० ॥७॥ एकथी , बीजी अनंत गुणी कही ॥ तेहy कारण कहीएरे॥ सुक्षम 9 डे पहेलीथी बीज॥ बीजीथी सुक्षम त्रीजीएरे॥समजो॥॥ ६ एम सुक्षम चमती सवे ॥ वर्गणा खंध जाती आठरे ॥ है. सर्वे सरखी कीजीए ॥ पुद्गलपणे एक गठरे ॥ समजो० . ॥ए॥ जीव ग्रहण वर्गणा कही॥ हवे कहुं गुण पर्यायरे 6 ॥ आगळ नवमी ढाळमां ॥ ज्ञान शीतल वर्णव थायरे॥ है हे समजो० ॥ १० ॥ ढाल आठमी संपूर्ण. . . . . . . ॥ ढाल नवमी ॥ ॥राग बंगाली॥ पुद्गल द्रव्यना गुणपर्याय ॥ जाण्या अनंता जीनेंद्रराय ॥ नवी सांजलो ॥ तेमां चौ चौ मुख्य कहाय ॥ग्रंथे वर्णव्या गीतारथराय ॥ नवी सांनलो ॥ १॥ पहेलो कह्यो १ गुणरूपी जेह ॥ दृष्टीगोचर श्रावे तेह ॥ नवी सांजलो ॥ बीजो अचेतन जमता जेह ॥ जाणं गुणनो अन्नाव तेह ॥ नवी० ॥२॥ त्रीजो क्रिया गुण कहेवाय ॥ शुन्नाशुन्न क्रिया १ जेह थाय ॥ नवी० ॥ चोथो मिलण वीखरण जेह ॥ स१ मण पमण वीध्वंसण तेह ॥ नवी० ॥३॥ ए गुण चज कह्या ६ कहुं पर्याय ॥ वर्ण पंच ए पहेलो कहाय ॥ नवी० ॥ रातो 9 धोळो लीलो पीळो स्याम ॥ बीजो रस पंच नेदे नाम ॥ है नवी० ॥ ४ ॥ तीखो कमवो कषायलो जेह ॥खाटो मधुरो , ए पंचे तेहः ॥ नवी० ॥ त्रीजो गंध दोय नेद पर्याय ॥3 सुरनी पूरनी वास लहाय ॥ नवी० ॥ ५॥ चोथो फर्स ६ RAGHORowerGH SwerGener@narrani Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034802
Book TitleDharm Pravarttan Sara Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandbhai Swarupchand Shah
PublisherRatanchand Laghaji Shah
Publication Year1910
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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