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________________ wastram astrastrateaserat s वन्दे वीरमानन्दम् / श्रीभावनगरचैत्यपरिपाटीस्तवन लावणी. (ऋषभजिनंद विमल गिरिमंडन-चाल / ) SERSERSERSERSERSERSERSERSEASESERSERSERSED SEREDIAS जय जिनवर तीर्थकर खामी, केवली अर्हन सुखकारा / नमिये निशदिन भवि, नमनसे मंगल में मंगलाचारा ॥अंचल भावनगर बंदरके अंदर, मंदर जिनवर हितकारा / कीजे शुभ भावे, चैत्यजिन परिपाटी आनंदकारा // 1 // मंदर म्होटा मन हरनारा, भर बजार चमके भारा। दरबारी टावर, निकटमें करता है टं टंकारा // 2 // मंदर अंदर पांच हैं सुंदर, पांच अनुत्तर सम धारा / पंचम गति पावे, करे भवी पांच अंगसे नमुकारा // 3 // मूलनायक लायक सुखदायक, क्षायक निज गुण अवधारा आदि जिन स्वामी, ध्यानसे होवे भवि भवदधिपारा // 4 // शांत रूप धारी प्रभु शांति, जग शांतिके करनारा। नमे शांत भावसे, वरे निज रूप शांत भवीजन प्यारा॥५ जगदमिनंदन नाथ जिनेश्वर, अभिनंदन जिन हितकारा। अभिनंदन देवे, उसे अमिनंदन देवे जगसारा // 6 // पुरिसादानी पार्श्वजिनेश्वर, पारस सम उपमा धारा / फरसे शुद्ध चेतन, कनक सम निर्मल रूप भलंकारा // 7 चउवीस जिन प्रतिबिंब सुहावे, चउवीस जिन चरनन सार दंडक चउवीसे, निवारण कारण नमते नरनारा // 8 // थोडी दूर बजार किनारे, मंदिर गौरव धरनारा / चलती है पेठी, जहां श्री संघ तरफसे साहुकारा // 9 // मूलनायक पायक धरणीदर, सायक दूर किये मारा। गौडी पारस जिन, नमो नित भाव भगत भवजल तारा // BeaSensasasasasaseas Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034794
Book TitleCharitra Puja athva Bramhacharya Vrat Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherBhogilal Tarachand Zaveri
Publication Year1925
Total Pages50
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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