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बालकक्रीडा सज्जन गुणीजन, लीजो भूल सुधारीने ॥ भवि० १८ ॥ मिथ्या दुष्कृत आतम लक्ष्मी, वल्लभ हर्ष अपारीने ॥ भवि० १९ ॥
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न्यायाम्मोनिधि श्रीमद्विजयानन्दसूरीश्वर पट्टधर आचार्य श्रीमद्विजयवल्लभसूरिविरचिता चारित्रपूजा अपर नाम ब्रह्मचर्य
व्रतपूजा समाप्ता॥ *HENERGREEHEIGHEE
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