________________ યશો, भावनगर IloIlec तो आपकी निद्रा भंग हो जाति / " "हैं भयसे तुमने पुत्र खोया !" स्त्री बोलीखोनेकी अपेक्षा पुत्रको खो देना ही हुआ।" पति गुस्से हुआ, उसने पाँच सुनाई, परन्तु वह स्त्री समभावपूर्वक शांत ही रही / पश्चात् दोनों कुंडके पास जाकर क्या देखते हैं कि, उस कुँडमें बहुत सुंदर और स्वच्छ पानी भरा हुआ है और लड़का उसमें खेल कूद रहा है / यह देखकर दोनों स्तब्ध हो गये। पुरुषके आश्चर्यका तो कुछ पार ही न रहा / धीरे 2 विचार करने पर उसे ज्ञात हुआ कि, मेरी स्त्रीके पातिव्रत्यप्रभावहीसे बच्चेकी जान बची है। वाह ! शीलधर्मका कितना बड़ा प्रभाव !! ऐसे अनेक दृष्टांत शोटको महिमाके शास्त्रों में मौजुद हैं; परन्तु वे सब दृष्टांत देकर पुस्तकके पेज बढ़ानेकी आवश्यकता नहीं है। इन थोड़ेसे उदाहरणों और प्रमाणोंपर भी यदि मनुष्य विचार करें तो वे बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं। इसी तरह महासती सीताका ज्वलंत उदाहरण लोगोंसे अज्ञात नहीं है। सीता जैसी महासतीने रावण जैसे दुराचारी पुरुषके हाथमें जानेपर भी अपने शीलकी-ब्रह्मचर्यकी किसतरह रक्षा की थी ? "ऐश्वर्यराजराजोऽपि रूपमीनध्वजोऽपि च / सीतया रावण इव त्याज्यो नार्या नरः परः || ऐश्वर्यमें राजराजेश्वर और रूपमें कामदेवके समान रावणका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com