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________________ १३५ १३५ १३६ १३७ अंक १] भरतेश्वर-बाहुबली रास [१३ सारीय सामि स नामि आदिजिण पूज पयासई, कसतूरीय कुंकुम कपूरि चंदनि वनवासई ॥ पूज करीउ चक्ररयण राउ बइठउ भू जाई, वाजीय संख असंख राउ आव्या सवि धाई। मंडलवइ मउडुध मु(सु?)हड जीमई सामंतह, सई हत्थि दियइ तंबोल कणय कंकण झलकंतह ।। वस्तु-दूत चलीउ, दूत चलीउ, बाहुबलि पासि; भणइ भूर नरवर निसुणि, भरह राउ पयसेव कीजइ। भारिहिं भीम न कवणि रणि, एउ भिडंत भूय भारि भजइ । जइ नवि मूरष एह तणी, सिरवरि आण वहेसि । सिउं परिकरिइं समर भरि, सहूइ सयरि सहेसि ॥ राउ बुल्लइ, राउ बुल्लइ, सुणि न सुणि दूत; ताय पाय पणमंतय, मुझ बंधव अति खरउ लज्जइ । तु भरहेसर तसतणीय, कहि न कीम अम्हि सेव किजइ । भारिइं भूयबलि जु न भिडउं, भुज भंजु भडिवाउ । तउ लजइ तिहूयण धणी, सिरि रिसहेसर ताउ ।। ठवणि ११. चलीय दूत भरहेसरहं तेय वात जणावइ, कोपानलि परजलीय वीर साहण पलणावइ । लागी य लागि निनादि वादि आरति असवार, बाहूबलि रणि रहिउ रोसि मांडिउ तिणि वार । ऊड कंडोरण रणंत सर बेसर फूटइं, अंतरालि आवइंई याण तीहं अंत अखूटई। राउत-राउति योध-योधि पायक-पायक्किहिं, रहवर-रहवरि वीर-वीरि नायक-नायक्किई । वेढिक विढई विरामि सामि नामिहिं नरनरीया, मारइं मुरडीय मूंछ मेच्छ मनि मच्छर भरीया । ससई हसइं धसमसई वीरघड वड नरि नाचई, राषसरी रा रव करंति रुहिरे सवि राचई ॥ १३८ १३९ १४० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034776
Book TitleBharateshwar Bahubali Ras tatha Buddhiras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShalibhadrasuri, Jinvijay
PublisherBharatiya Vidya
Publication Year
Total Pages38
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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