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________________ [वर्ष २ १२८ १२९ १२] भारतीय विद्या अनुपूर्ति चल्लीय समहरि सेससीसु सलसलीय न सकइ, कंचणगिरि कंधार भारि कमकमीय कसका ॥ कंपीय किंनर कोडि पडीय हरगण हडहडीया, संकिय सुरवर सम्गि सयल दाणव दडवडीया । अतिप्रलंब लहकई प्रलंब वलविंध चिहुं दिसि, संचरीया सामंत सीस सीकिरिहिं कसाकसि ।। जोईय भरह नरिंद कटक मूंछह वल घल्लई, कुण बाहूबलि जे उ बरव मई सिउं बल बुल्लइ । जइ गिरि कंदरि विचरि वीर पइसंतु न छूटइ, जइ थली जंगलि जाइ किम्हइ तु मरइ अषूटइ ॥ गज साहणि संचरीय महु णर वेढीय पोयणपुर । वाजीय बूंब न बहकीयउ बाहूबलि नरवर । तसु मंतीसरि भरह राउ संभालीउ साचुं, ए अविमांसिउं कीउं काई आज जि तई काचुं ॥ बंधव सिउं नरवीर काइं इम अंतर देषइ, लहु बंधव नीय जीव जेम कहि काइं न लेखइ । तउ मनि चिंतइ राय किसिउं एय कोइ पराठीउ, ओसरी उवनि वीर राउ रहीउ अवाठीउ ॥ गय आगलीया गलगलंत दीजई हय लास, हुइं हसमस..... भरहराय केरा आवास । एकि निरंतर वहई नीर एकि ईंधण आणइं, एक आलसिई परतणुं पांगु आणिउं तृण ताणइं॥ एकि ऊतारा करीय तुरीय तलसारे बांधई, इकि भरडई केकाण खाण इकि चारे रांधई। इकि झीलीय नय नीरि तीरि तेतीय बोलावई, एकि वारू असवार सार साहण वेलावई ॥ एकि आकुलीया तापि तरल तडि चडीय झंपावई, एकि गूडर साबाण सुहड चउरा दिवरावई । ३१ १३२ १३३ १३४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034776
Book TitleBharateshwar Bahubali Ras tatha Buddhiras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShalibhadrasuri, Jinvijay
PublisherBharatiya Vidya
Publication Year
Total Pages38
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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