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मंक१]
भरतेश्वर-बाहुबली रास [३ हीसई हसमिसि हणहणई ए, तरवर तार तोषार तु । खंदई खुरलई खेडवीय, मन मानइं असुवार तु ॥ पाखर पंखि कि पंखरू य, ऊडाऊडिहिं जाइ तु । हुंफई तलपई ससई धसई, जडइं जकारीय धाइ तु ॥ फिरइं फेकारइं फोरणई, फुड फेणाउलि फार तु । तरणि तुरंगम सम तुलई, तेजीय तरल ततार तु ।। घडहढंत घर द्रमद्रमीय, रह रूंघई रहवाट तु । रव भरि गणइं न गिरि गहण, थिर थोभई रहथाट तु ॥ यमरचिंध धज लहलहई ए, मिल्हई मयगल माग तु । वेगि वहंता तींह तणइं ए, पायल न लहइं लाग तु ॥ दडवडंत दह दिसि दुसह ए, सरिय पायक चक्क तु । अंगोमंगिइं अंगमई, अरीयणि असणि अणंत तु ॥ वाकई तलपई तालि मिलिइं, हणि हणि हणि पभणंत तु । आगलि कोइ न अछइ भलु ए, जे साहमु झूझत तउ ॥ २९ दिसि दिसि दारक संचरीय, वेसर वहई अपार तु । संष न लामई सेन तणी, कोइ न लहई मुघि सार तु ॥ ३० बंधव बंधवि नवि मिलई ए, न बेटा मिलई बाप तु । सामि न सेवक सारवई, आपिहिं आप विथाप तु ॥ गयवडि घडीउ चकघरो, पिडि पयंड भूयदंड तु । चालीय चिटुं दिसि चलचलीय, दिइं देसाहिव दंड तु ॥ वज्जीय समहरि द्रमद्रमीय, घण निनाद नीसाण तु । संकीय सुरवरि सग्ग सवे, अवरहं कमण प्रमाण तु ॥ ढाक दूक त्रंबक तणई ए, गाजीय गयण निहाण तु । षट पंडह पंडाहिवहं, चालतु चमकीय भाण तु ॥ भेरीय रख भर तिहुं भूयणि, साहित किमई न माइ तु । कंपिय पय भरि शेष रहिउ, विण साहीउ न जाइ तु ॥ सिर डोलावइ धरणिहिं ए, टूक टोल गिरिशंग तु । __ सायर सयल वि झलझलीय, गहलीय गंग तुरंग तु ॥ ३६
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