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________________ ( . ) लखनऊ अधिवेशन १६१६ के सभापति श्री माणिक्यचंद जैन १८८२ में खंडवा में जन्म लेकर, १९१८ में ३६ बरस की भरी जवानी में, कलकत्ता नगर में स्वर्ग पधारे । श्रीमद् रायचंद्र जैन, स्वामी रामतीर्थ, बाबू देवकुमार स्वामी विवेकानन्द कुमार देवेन्द्र प्रसाद जैन सिकन्दर महान, बाइरन श्री शंकराचार्य, जीसस क्राइस्ट, कोट्स, शेली, चैटरटन, की तरह, ३०-३५ बरस में वह काम कर गये, जो लोग ५००-१२५ बरस में नहीं कर सके । स्कूल कालिज में ऊँचे नम्बरों से उत्तीर्ण होकर, छात्रवृत्ति पाते रहे । 'सुखानन्द मनोरमा' नाटक, 'जीव दया, 'हितोपदेशक', 'हिन्दी व्याकरण', 'भारत भूषणावली', पुस्तकें बनाकर प्रकाशित कीं । वकालत में ख्याति प्राप्त की । श्री० चेतनदास, युगमम्वरलाल के सम्पर्क से इलाहाबाद में विद्याध्ययन करते समय ही अंग्रेजी जैन गज़ेट के सहायक सम्पादक रहे । महामंडल के कलकत्ता और सूरत नगर के अधिवेशनों की श्रायोजना की । इलाहाबाद के " श्रभ्युदय" पत्र का सम्पादन किया । मालवा प्रान्तिक सभा के सिद्धवरकूट अधिवेशन की स्वागत समिति के सभापति के स्थान से ४२ पृष्ठ का छुपा हुत्रा व्याख्यान दिया । म्युनिसिपल कमेटी के मेम्बर, कांग्रेस कमेटी के मन्त्री रहे । १६२७ बीकानेर अधिवेशन के अध्यक्ष श्रीयुत वाडीलाल मोतीलाल शाह जन्म १८७८, देहान्त १९३९ महान साहित्यिक | २३ बरस तक गुजराती मासिक "जैनहितेच्छु" के, ७ बरस तक गुजराती साप्ताहिक "जैन समाचार" के, ४ बरस तक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034772
Book TitleBharat Jain Mahamandal ka Sankshipta Itihas 1899 to 1946
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitprasad
PublisherBharat Jain Mahamandal Karyalay
Publication Year1947
Total Pages108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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