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________________ सरकारी वकील लखनऊ १६०१ से १९१६ तक बन हाईकोर्ट बीकानेर १९२१-१६३० । एडवोकेट चीफ कोर्ट लखनऊ, हाई कोर्ट पटना, हाई कोर्ट लाहौर । मंत्री अषम ब्रह्मचर्याश्रम हस्तिनापुर १९११ से १९१५। सम्मेदाचल क्षेत्र के पूजा केस में कलकत्ते गये, १९१४ । पावापुरी केस में पटना गये १६१७ । शिखरजी इंजक्शन केस में, बैरिस्टर चम्पत राय जैन के साथ हजारीबाग, रांची, पटना हाईकोर्ट में वकालत की १६२३, १९२४, १९२८ । राबगिरी केस में वकालत पटना में की १६२६ से १९२८ । पावापुरी केस में पटना, कलकत्ता में वकालत, तथा कमीशन में काम किया लखनऊ, बम्बई, दिल्ली आदि शहरों में । १९२६-१९२९ । एडीटर चैन गजेट १९१२ से अब तक. डाइरेक्टर सेंट्रल जैन पब्लिशिंग हाउस, अनिताभम लखनऊ, १९२६ से अब तक। मंत्री अखिल भारतवर्षीय जैन पोलिटिकल कान्फरेन्स १६१७ से १९२१ तक। रचयिता अंगरेजी भाषा में पुरुषार्य सिद्धयुपाय, गोम्मट गार कर्मकांड भाग २, Pure Thoughts. श्री अमितगति प्राचार्य कृत सामायिक पाठ का अंग्रेबी अनुवाद । १९११ तथा १६२० के अधिवेशन के सभाध्यक्ष युगमन्धर लाल जैनी (J. L. Jaini) M. A. (Oxon). बै रस्टर-एट-ला जन्म १८-१. शरीरान्त १६२७. सर्वोच्च प्रथम श्रेणी में एम. ए. इलाहाबाद युनिवर्सिटी ११.३. रेजिडेन्ट सुपरिन्टेन्डेन्ट बोडिंग हाउस म्योर सेन्टल कालिब. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034772
Book TitleBharat Jain Mahamandal ka Sankshipta Itihas 1899 to 1946
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitprasad
PublisherBharat Jain Mahamandal Karyalay
Publication Year1947
Total Pages108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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