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( ३० ) (४) प्रत्येक सदस्य अन्य सम्प्रदायों के धार्मिक पर्व में सम्मिलित हुश्रा करेगा।
इक्कीसवाँ अधिवेशन
इक्कीसवां अधिवेशन वर्धा में १९-२० मार्च १९३८ को सेठ राजमलजी ललवानी एम. एल. ए. के सभापतित्व में हुआ। अनेक जैन सम्प्रदाय, जाति, उपजाति के सज्जन उपस्थित थे। महिला सभा भी हुई थी। यह अधिवेशन १९ मार्च को श्री हीरासावजी डोमे के यहाँ विवाह-मंडप में सम्पन्न हुा । महामडल का उद्देश्य जैन धर्म प्रचार, तथा जैन जाति उदार है । बहुधा जैन संस्थाओं का अधिवेशन किसी धार्मिक उत्सव के साथ साथ होता है। यह प्रथम अवसर था कि एक विवाहोत्सव पर महा मंडल का अधिवेशन कराया गया। श्री हीरासावजी डोमे विशेष बधाई के पात्र हैं। मगलाचरण
शीतलप्रसादजी ने किया था। स्वागत सभापति श्री पुखराजजी कोचर एम. एल. ए., सी. पी. काउन्सिल हिंगनघाट निवासी ने लिखित भाषण पढ़कर सुनाया। जिसमें मंडल के उद्देश्य पर सुन्दर विवेचन किया गया था। यह बैठक ८ से ११ तक रही। दिन में नागपुर बैंक वर्षा के विशाल आफिस में सब्जेक्ट कमेटी की मीटिंग हह । और रात्रि को फिर विवाह मंडप में प्रस्ताओं पर भाषण हुए। २० मार्च को सुबह से ११ तक श्री गणपतरावजी मेलांडे के यहाँ विवाह मण्डप में प्रस्तवों पर भाषण हुए । सभापति का अन्तिम भाषण मार्मिक था। तीनों फिरकों ने सम्मेलन में भाग लिया, तथा भ्रातृ भोज में सम्मिलित हुए । श्री गणपतरावजी का समाषप्रेम और उत्साह सराहनीय है। तीसरे पहर जैन छात्रालय में सौमाग्यवती वसुन्धरादेवी धुमाले की अध्यक्षता में जैन महिला सम्मेलन हुआ। इन दोनों विवाहों में वर-कन्या भिन्न जाति, और मिन सम्प्रदाय के ये । रात्रि को दिगम्बर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com