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( १८ ) भाषण में शिक्षा की आवश्यकता, अजैनों को जैन धर्म में दीक्षित करने का औचित्य दिखलाया । भारतेतर देशीय जैनों की सम्मिलित सभा की स्थापना का उल्लेख किया ।
इसी अवसर पर दिगम्बर जैन महासभा का वार्षिक अधिवेशन भी इस ही नगर में हुआ। इसके सभापति थे साधुवृत्ति राय साहेब द्वारिकाप्रसाद इंजिनियर कलकत्ता। उनका भाषण सराहनीय था। विषय निर्धारणी सभा में महासभा की अनियमित घांघलीबाजी का भंडाफोड़ हुआ। दूसरे दिन खुली सभा में कुछ अनधिकृत लोगों ने दस्सा पूजाधिकार का झगड़ा खड़ा करके शोर मचा, गाली गलोज, करके महासभा के मंच पर कब्जा कर लिया। सभापति महोदय उठ कर अपने डेरे में चले आए।
तेरहवाँ अधिवेशन तेरहवाँ अधिवेशन ता० २५, २६, २७, २८ और २६ दिसम्बर १९१३ को बनारस में हुआ, जो स्यादाद महोत्सव के नाम से प्रसिद्ध हुधा । इस महोत्सव में मंडल की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं हुए, किन्तु महत्वपूर्ण कार्य हुए । ता० २५ को बनारस टाउन हाल में श्री जुगमन्दिर लाल जी जैनी सभापति स्वागत-समिति ने अपने भाषण में महामण्डल के विविध रचनात्मक कार्यों का उल्लेख किया और मिसेज़ ऐनी बेसेन्ट के अध्यक्ष निर्वाचित किए जाने का प्रस्ताव किया। मिसेज वेसेन्ट ने अपने भाषण में कहा कि महाबीर स्वामो जैन धर्म के २४ तीर्थंकरों में अन्तिम तीर्थकर थे। यूरोप शेष २३. तार्यकरों को ऐतिहासिक वास्तविकता नहीं समझ सकता क्योंकि वह स्वतः कम उमर है, और इतनी गहरी प्राचीनता का विचार उसकी शक्ति के बाहर है, और इस कमजोरी के कारण जैन धर्म की प्राचीनता उसके विचार के बाहर है । जैन धर्म इतिहास और मौखिक तथा पौराणिक कथाओं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com