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लाला खूबचन्द रईस सहारनपुर ने महासभा और ऐखोलियेशन को इस अवसर पर निमन्त्रित किया था । और मेहमानों के श्रादरसत्कार, सुविधा, भोजन का समुचित प्रबन्ध किया था। हिसार से जैन अनाथालय, मथुरा से महाविद्यालय भी आया था। इसतकवाल शानदार था, रेलवे प्लैटफार्म पर ही अभिनन्दन पत्र पढ़े गये, और रेशम पर छपे हुए उनको मेट किये गये । प्लैटफार्म पर लाल फर्श बिछा था, हाथियों पर सभापति का जुलूस शहर में से निकला, घोड़े, रथ, फिटन, गाड़ियाँ, और अँग्रेजी बैंड बाजा श्रेणीवद्ध साथ में था । सभापति के निवास के लिये जैन बाग में प्रबन्ध किया गया था ।
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इस अवसर पर जैनभूषण रायसाहेब फूलचंद राय इंजिनियर ने दो बरस तक १००) मासिक छात्रवृत्ति जैन युवक को देने की घोषणा की, जो जापान जाकर श्रौद्योगिक शिक्षा ग्रहण करे । खेद के साथ लिखना पड़ता है कि किसी भी जैन युवक ने इस घोषणा से लाभ नहीं लिया । राय साहेब फूलचंदजी की छात्रवृत्ति घोषणा की सराहना करके जैन समाज ने समुद्र यात्रा का मार्ग खोल दिया ।
स्त्री शिक्षा प्रचारार्थ महिला समाज ने उदारतया दान दिया । पुरुष समाज में व्याख्यान १०००) पाँच गरीब जैनमहाशयों ने पदक और
पुरुषों ने स्त्री सभा में, और महिलाओं ने दिये । नेमीदासची वकील सहारनपुर ने कन्याओं के विवाहार्थ प्रदान किये । ४० छात्रवृत्ति देने की घोषणा की।
बाबू देवकुमारजी ने एक छात्रवृत्ति प्रदान करने की घोषणा की थी जो ऐसे जैन युवक को दी जायगी बो बनारस स्याद्वाद महाविद्यालय में रहकर कालिय में अध्ययन करे। उस समय एक भी ऐसा विद्यार्थी न मिला । अब कितने ही विद्यार्थी स्याद्वाद विद्यालय में रहकर कालिज और हिन्दू युनिवर्सिटी में अध्ययन करना चाहते हैं, किन्तु विद्यालय के प्रबन्धकर्ता उनको विद्यालय में नहीं रखना चाहते ।
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