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साहित्य प्रकाशनार्थ कमेटो की स्थापना कर दी गई । श्री बगतप्रसाद एम० ए०, सी० आई० ई० ने मन्त्री पद स्वीकार किया।
"मनभावती" पदक ऊदेरामजी को दिया गया, जो पंजाब युनिवर्सिटी की एन्ट्रेस परीक्षा में संस्कृत भाषा के साथ प्रथम श्रेणी में उचीर्ण हुए थे। "बच्चूलाल" पदक अजमेर के मोतीलाल सरावगी को प्रदान हुअा। वह अलाहाबाद युनिवर्सिटी की एन्ट्रेस परीक्षा में संस्कृत भाषा के साथ प्रथम श्रेणी में उचीर्ण हुए थे। १०) मथुरा विद्यालय के छात्र मक्खनलाल को पुरस्कार रूप दिये गये। श्री मक्खनलाल जी अब मुरेना सिद्धांत विद्यालय के अध्यक्ष है। नन्दकिशोरजी को बी० ए० परीक्षा में संस्कृत में ऊँचे नम्बरों से उत्तीर्ण होने के उपलक्ष्य में एक विशेष पदक दिये जाने की घोषणा की गई। श्रीयुत् नन्दकिशोर बी डिप्टी कलेक्टरी की उच्च श्रेणी से पेंशन लेकर अब नहटौर जिला विजनौर में रहते हैं।
उल्लेखनीय प्रस्ताओं में न०५. इस प्रकार थादिगम्बर श्वेताम्बर समान में पारस्परिक सामाजिक व्यवहार, राबनैतिक कार्यों में सहयोग होना आवश्यक है। और अहिंसा, अपरिग्रह, सत्य, स्याद्वाद, कर्म सिद्धान्त आदि निर्विवाद सर्वमान्य विषयों पर सिद्धान्त काप्रकाशन होना वांछनीय है।
सातवाँ अधिवेशन
सातवाँ चल्सा भी महासभा के बल्से के साथ-साथ सहारनपुर में दिसम्बर १९०५ में सम्पन हुआ। इस अधिवेशन के अध्यक्ष थे दानवीर सेठ माणिकचंद जे० पी० सूरत-बम्बई वाले । अपनी शान और महत्व में यह अधिवेशन अम्बाले वाले गत वर्ष के बल्से से बहुत बढ़ा-चढ़ा
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