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विद्वानों की कुछ सम्मतियाँ
(१) साहित्याचार्य पं० विश्वेश्वरनाथजी, रेऊ
"लेख 'भगवान महावीर और उनका समय' खोजपूर्ण है।" (२) महर्षि शिवव्रतलालजी वर्मन, एम.ए.,
"महावीर चरित्रका मुख्तसिर खाका बहुत अच्छा खींचा गया है । ला० जुगलकिशोर साहिब मुख्तार बहुत काबिल
और वाकिफकार आदमी मालूम होते हैं।" (३) प्रार० वेंकटाचल पाइयर, धिक्कन्नगलम्
"लेख और उसके अन्तर्गत 'महावीर-सन्देश' ने मेरे मनमें
गंभोरतम भावोंको जाग्रत किया है ।" (४) बाबू भगवानदासजी, एम.ए., चुनार--
"लेख पढ़कर मैं बहुत प्रसन्न हुआ । इस नई बुद्धिसे पगने विषयोंका प्रतिपादन किया जाय तो उनमें पनः प्राणसंचार हो
और वे सचमुच इह-अमुत्र उपयोगी हों जहाँ अब प्रायः उभय बाधक हो रहे हैं।" (५) बा० ज्योतिप्रसादजी सम्पादक 'जैनप्रदीप' देववन्द
"लेख बहुत ही रुचकर अं र लाभदायक है ... अत्युत्तम है
बड़ी खोजक साथ लिखा गया है।" (६) पं० कैलाशचन्द्रजी शास्त्री, बनारस
"लेख बहुत महत्व एवं गवेषणापूर्ण है।"
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