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________________ ९५ भगवान् महावीर काल में ब्राह्मण कन्या का क्षत्रिय के साथ विवाह नहीं होता था। यह प्रथा सम्भवतः महावीर और बुद्ध के कई वर्षों पश्चात् चली थी। इसके अतिरिक्त दिगम्बरी ग्रन्थ महावीर पुराण में साफ लिखा है कि महावीर त्रिशला से ही उत्पन्न थे। हां उनकी दूसरी कल्पना अवश्य महत्व पूर्ण और विचारणीय है। इसमें सन्देह नहीं कि, उपरोक्त प्रमाणों में से बहुत से प्रमाण बहुत ही महत्व पूर्ण हैं । इनसे तो प्रायः यही जाहिर होता है कि "गर्भ हरण" की घटना कवि की कल्पना ही है, पर हम एक दम ऐसा करके प्राचीन ग्रन्थों की अवहेलना नहीं कर देना चाहते। हमारा तो यही कथन है कि, इस विषय पर और उपाहोह हो । सब जैन विद्वान् इस विषय को सोचें और दृढ़ प्रमाणों के साथ जो निष्कर्म निकले उसी को स्वीकार करें। केवल प्राचीन लकीर के फकीर या अन्धश्रद्धा के वशीभूत होकर प्राचीनता का पक्ष कर लेना भी ठीक नहीं। हर एक बात को बुद्धि की कसौटी पर अवश्य जांच लेना चाहिए । अस्तु ! ईस्वी सन् से ५९९ वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ला त्रयोदशी के दिन रानी त्रिशला के गर्भ से भगवान महावीर का जन्म हुआ, जन्म के उपलक्ष्य में बहुत बड़ा उत्सव मनाया गया। भगवान महावीर का बाल्यजीवन और यौवनकाल किस प्रकार व्यतीत हुआ इसके बतलाने में इतिहास प्रायः चुप है । पुराणों में भी बाल्यकाल और यौवनजीवन की बहुत ही कम घटनाओं का वर्णन है। अतएव अनुमान प्रमाण से इन दो अवस्थाओं का जो कुछ भी निष्कर्ष निकाला जा सकता है वह आगे के "मनो वैज्ञानिक" खण्ड में निकाला जायगा । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034764
Book TitleBhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1925
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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