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भगवान् महावीर
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माय वंश के क्षत्रिय पार्श्वनाथ के अनुयायी थे । इस कारण ऐसा मालूम होता है कि, उन्होंने पार्श्वनाथ के अनुयायी साधुओं की सुभीता के लिये एक चैत्य की स्थापना की थी। _ विशेष प्रमाण में यह बात और कही जा सकती है कि सूत्र ७७ और ७८ में वाणिय गाम के विषय में लिखे हुए "उच्चनीय मज्झिम कुलाई" वर्णन के साथ रोखिलकृत बुद्ध चरित्र का वर्णन बहुत मेल खाता है । उसमें लिखा है कि:
वैशाली के तीन भाग थे। पहले विभाग में सुवर्ण कलश वाले ७००० घर थे, मध्यम विभाग में रजत कलश वाले १४००० घर थे और अन्तिम विभाग में ताम्र कलश वाले २१००० घर थे। इन विभागों में क्रम से उच्च, मध्यम और नीच वर्ग वाले लोग रहते थे। ___ डा० हार्नल का मत दे दिया गया है। यह कथन अवश्य प्रमाण युक्त है, पर इसमें सत्य का कितना अंश है, इसके विषय में ठीक कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
भगवान महावीर के माता पिता । दिगम्बर ग्रन्थ महावीर पुराण के अन्तर्गत महावीर के पिता राजा सिद्धार्थ को एक बहुत बड़ा राजा बतलाया है और उसकी प्रधान रानी का नाम त्रिशला बतलाया है। लेकिन कल्पसूत्र के अन्तर्गत सिद्धार्थ को एक मामूली जागीरदार की तरह सम्बोधित किया है, स्थान स्थान पर उसमें "राजा सिद्धार्थ" नहीं प्रत्युत "क्षत्रिय सिद्धार्थ" के नाम से सम्बोधित किया है। उसी प्रकार त्रिशला को भी "रानी त्रिशला" के स्थान पर "क्षत्रि
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