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________________ ८३ भगवान् महावीर बतलाने का प्रयत्न किया है, इस स्थान पर हम उसे ज्यों का त्यों उधृत कर देते हैं। जैनियों के यहां कोई २५०० वर्ष की संवत् गणना का हिसाब हिन्दुओं भर में सब से अच्छा है। उससे विदित होता है कि, ऐतिहासिक परिपाटि की गणना यहां पर थी। और जगह पर यह नष्ट हो गई केवल जैनियों में बच रही । जैनियों की गणना के आधार पर हमने पौराणिक और ऐतिहासिक कई घटनाओं से समय बद्ध किया और देखा कि उनका ठीक मिलान जानी हुई गणना से मिल जाता है। कई एक ऐतिहासिक बातों का पता जैनियों के ऐतिहासिक लेख और पट्टावलियों ही में मिलता है। जैसे "नहयान" का गुजरात में राज्य करना उसके सिकों और शिलालेखों से सिद्ध है। इसका जिक्र पुराणों में नहीं है। पर एक पट्टावली की गाथा में जिसमें महावीर स्वामी और विक्रम सम्वत् के बीच का अन्तर दिया हुआ है । "नहयान" का नाम हमने पाया। वह “नहयान" के रूप में है । जैनियों की पुरानी गणना में जो असम्बद्धता यूरोपीय विद्वानों द्वारा समझी जाती थी, वह हमने देखा कि वस्तुत नहीं है। "महावीर के निर्वाण और “गर्दभिल्ल" का ४७० वर्ष का अन्तर पुरानी गाथा में कहा हुआ है । जिसे दिगम्बर और श्वेताम्बर दानों दलवाले मानते हैं। यह याद रखने की बात है कि, बुद्ध और महावीर दोनों एक ही समय में हुए । बौद्धों के ग्रन्थों में “तथा गत" का निग्रन्थ नातपुत्त के पास जाना लिखा है और यह भी लिखा है कि जब वे शाक्यभूमि की ओर जा रहे थे तब देखा कि पावापुरी में नातपुत्त का शरीरान्त हो गया है। जैनियों के Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034764
Book TitleBhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1925
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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