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________________ १.१३ भगवान् महावीर उनके जीवनी का आधे से अधिक भाग कोरा रह जाता है। महावीर एक महापुरुष हो गये हैं-जो जैनियों के अन्तिम तीर्थकर थे। केवल इतना ही कहने से लोगों को सन्तोष नहीं हो सकता, न उनसे कुछ लाभ ही हो सकता है। जिन घटनाओं के अंतर्गत महावीर के जीवन का रहस्य छिपा हुआ है, जिन तत्त्वों से मनुष्य जीवन का मुशकिले-आसान हो जाता है, उन घटनाओं और तत्त्वों को जब तक हम पूर्णतया न जानलें तब तक जीवन-चरित्र का सच्चा कार्य अधूरा ही रह जाता है। हमारे दुर्भाग्य से भारतवर्ष के प्राचीन इतिहास की सामग्री बहुत ही कम प्राप्त है । अत्यन्त दौड़ धूप के पश्चात् किसी प्रकार चन्द्रगुप्त तक तो लोग पहुंचे हैं पर उसके बाद तो प्रायः अन्धकार ही है। पाश्चात्य विद्वान पुराणों और दन्तकथाओं के आधार पर कुछ अनुमान निकालते अवश्य हैं पर कुछ समय के पश्चात यह अनुमान उन्हें ही गलत मालूम होने लगता है। भगवान महावीर के सम्बन्ध में भी यदि यही बात कही जाय तो अनुचित न होगा, बौद्ध और जैनग्रन्थों के आधार से यद्यपि कुछ विद्वानों ने कुछ बातों का निपटारा कर लिया है। पर उसमें भी बहुत मतभेद है। विद्वान् भी बेचारे क्या करें, कहाँ तक तर्क लगावें आखिर उनके आधार स्तम्भ तो प्राचीन ग्रन्थ ही रहते हैं। उन प्राचीन ग्रन्थों में आपस में ही मत भेद पाया जाता है। श्वेताम्बरी कहते हैं कि महावीर स्वामी का गर्भ हरण हुआ था। दिगम्बरी कहते हैं कि, नहीं हुआ। इधर दिगम्बरी कहते हैं कि महावीर बाल ब्रह्मचारी थे तो श्वेताम्बरी कहते हैं कि नहीं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034764
Book TitleBhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1925
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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